और आदत कभी नहीं जाती
ये ज़ुबाँ हमसे सी नहीं जातीज़िन्दगी है कि जी नहीं जातीइन सफ़ीलों में वो दरारे हैंजिनमें बस कर नमी नहीं जातीदेखिए उस तरफ़ उजाला हैजिस तरफ़ रौशनी नहीं जातीशाम कुछ पेड़ गिर गए वरनाबाम तक चाँदनी नहीं...
View Articleयार अब भी रक़ीब हैं
वो निगाहें सलीब हैहम बहुत बदनसीब हैंआइये आँख मूँद लेंये नज़ारे अजीब हैंज़िन्दगी एक खेत हैऔर साँसे जरीब हैंसिलसिले ख़त्म हो गएयार अब भी रक़ीब हैंहम कहीं के नहीं रहेघाट औ’ घर क़रीब हैंआपने लौ छुई नहींआप...
View Articleशिकायत उनसे करना गो मुसीबत मोल लेना है
ये दीवाने कभी पांबदियों का गम नहीं लेंगेगिरेबाँ चाक जब तक कर न लेंगे दम नहीं लेंगेलहू देंगे तो लेंगे प्यार मोती हम नहीं लेंगेहमें फूलों के बदले फूल दो शबनम नहीं लेंगेये गम किसने दिया है पूछ मत ऐ...
View Articleपरसाई की एक गोभक्त से भेंट
P { margin-bottom: 0.08in; }हरिशंकर परसाईएक शाम रेलवे स्टेशन पर एक स्वामीजी के दर्शन हो गए. ऊँचे, गोरे और तगड़े साधु थे. चेहरा लाल. गेरुए रेशमी कपड़े पहने थे. पाँवों में खड़ाऊँ. हाथ में सुनहरी मूठ की...
View Articleअश्लील पुस्तकें कभी नहीं जलाई गईं
हरिशंकर परसाईशहर में ऐसा शोर था कि अश्लील साहित्य का बहुत प्रचार हो रहा है. अखबारों में समाचार और नागरिकों के पत्र छपते कि सड़कों के किनारे खुलेआम अश्लील पुस्तकें बिक रही हैं.दस-बारह उत्साही...
View Articleअरुण जेटली के ब्लॉग पर रामचंद्र गुहा
P { margin-bottom: 0.08in; }रामचंद्र गुहाजब मुझे ट्विटर से पता चला कि भारत के वित्त मंत्री ने लेखकों पर हमला करते हुए एक ब्लॉग लिखा है तो मैं हैरत में पड़ गया. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स अभी अधर में है,...
View Articleसईद जाफरी (1929-2015): नाॅटी अंकल इज़ नो मोर
P { margin-bottom: 0.08in; direction: ltr; widows: 2; orphans: 2; संदीप मुद्गल सईद जाफरी को याद क्यों किया जाए ? चूंकि सईद जाफरी फिल्मों की रंगीन दुनिया से वाबस्ता रहे, और हिन्दी फिल्मों में अपने...
View Article'इस असहिष्णुता का गर्भ सामाजिक असमानता में है'
कैरोल स्मिथ की तस्वीर 'इनटॉलरेंस' (लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस, अमेरिका से साभार)अनुभव सिन्हाआप वो नहीं कह सकते जो उन्हें पसंद नहीं. या फिर वो जिस से इस बात का शक हो कि आरोप शायद उनपर है, फिर भले ही आप...
View Articleपंकज सिंहः ख़ाक में क्या सूरतें होंगी जो पिन्हाँ हो गईं
तस्वीरः एक्टिव इल्यूजंस से साभारमिर्ज़ा एबी बेगपांच दिन पहले पंकज सिंह कौन था, मेरे फ़रिश्ते को भी शायद ही मालूम हो, लेकिन अचानक ग़ालिब पर एक किताब के सिलसिले में मंडी हाउस नीलाभ भाई के दफ़्तर...
View Articleज्ञान और अंधविश्वास का जन्म एक ही कोख से होता है
अलेकजेंडर इवानोविच हर्ज़न ( 1812- 1870)मानव सदा अपनी आदिम अवस्था में नहीं रह सकता था, सदा प्रकृति और गोचर-जगत की नाल से जुड़ा नहीं रह सकता था...पशु ही ऐसा है जो प्रकृति से कभी बेमेल या बेसुरेपन का...
View Articleटीचर, जो बोलते हो उसे सुनो भी
टीचर,हमेशा येमत कहो कि तुम ही सही हो, छात्रों को सच को खुद-बद-खुदमहसूस करने दोसच को थोपो मतयह ठीक नहीं हैसच के हक में, जो बोलते होउसे सुनो भी. बर्तोल्त ब्रेख्त
View Articleअगले जनम मोहे बकरी न कीजो...
आशीष पाण्डेयमैं एक जज के घर के अहाते में लगी हरी-हरी सुंदर सी घास को चर गई, माली ने शायद उसे बड़ी ही मेहनत से उसे उगाया था. तभी तो मैं धर ली गई. मुझे मालूम नहीं था की जज साहब के अहाते में लगी घास को...
View Articleजो दांतों और दलदलों का दलाल है, वह देशभक्त है
धूमिल हर तरफ धुआं हैहर तरफ कुहासा हैजो दांतों और दलदलों का दलाल हैवही देशभक्त है.अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है- तटस्थता. यहां कायरता के चेहरे परसबसे ज्यादा रक्त है. जिसके पास थाली हैहर भूखा आदमी...
View Articleतो हमें देश की सुरक्षा से खतरा है
अवतार सिंह संधू 'पाश'यदि देश की सुरक्षा यही होती है किबिना जमीर होना जिंदगी के लिए शर्त बन जायेआंख की पुतली में हां के सिवाय कोई भी शब्द अश्लील हो और मन बदकार पलों के सामने दंडवत झुका रहेतो हमें देश...
View Articleदेश कागज पर बना नक्शा नहीं होता
सर्वेश्वरदयाल सक्सेनायदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग लगी होतो क्या तुमदूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे मेंलाशें सड़ रहीं होंतो क्या तुमदूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?यदि हाँतो...
View Article‘संस्कृति’ अमीरों, पेटभरों का बेफिक्रों का व्यसन है
प्रेमचंद मक़बूल फ़िदा हुसैनसाम्प्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है. उसे अपने असली रूप में निकलने में शायद लज्जा आती है, इसलिए वह उस गधे की भाँति जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल में जानवरों पर रोब...
View Articleज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी
तस्वीर- टीसीएनकलीम आजिज़ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थीमजबूर थे हम उस से मुहब्बत भी बहुत थीउस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम नेगो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थीवाकिफ ही न था रंज-ए-मुहब्बत...
View Articleहर आदमी मुझे लगता है हम शकल, लोगों
दुष्यंत कुमारये रोशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगोंकि जैसे जल में झलकता हुआ महल, लोगोंदरख़्त हैं तो परिन्दे नज़र नहीं आतेजो मुस्तहक़ हैं वही हक़ से बेदख़ल, लोगोंवो घर में मेज़ पे कोहनी टिकाये बैठी हैथमी...
View Articleआदर्श कृति की तलाश...
आलोचक की सबसे उचित परिभाषा मुझे ये मिली है कि आलोचक "आदर्श पाठक"होता है. सिनेमा हो या साहित्य दोनों में एक मर्मज्ञ आलोचक प्रस्तुत कृति की तुलना एक काल्पनिक "आदर्श कृति"से करता है. उस काल्पनिक "आदर्श...
View Articleव्यंग्य मत बोलो, काटता है जूता तो क्या हुआ...
व्यंग्य मत बोलोव्यंग्य मत बोलो।काटता है जूता तो क्या हुआ पैर में न सही सिर पर रख डोलो।व्यंग्य मत बोलो।अंधों का साथ हो जाये तो खुद भी आँखें बंद कर लोजैसे सब टटोलते हैं राह तुम भी टटोलो।व्यंग्य मत...
View Articleहर नन्ही याद को हर छोटी भूल को नये साल की शुभकामनाएं!
सर्वश्वेरदयाल सक्सेना की ये कविता साल 2017 की आगवानी में व्हाट्सऐप ग्रुप से फ़ेसबुक तक घूम रही है। डिजिटल संसार में अपने प्रिय कवियों को विचरते देखना एक सुखद अनुभूति है। आप सभी को नये साल की...
View Articleतू भी दिल से उतर न जाए कहीं
नीयत-ए-शौक़ भर न जाए कहीं तू भी दिल से उतर न जाए कहीं.आज देखा है तुझे देर के बाद आज का दिन गुज़र न जाए कहीं.न मिला कर उदास लोगों से हुस्न तेरा बिखर न जाए कहीं.आरज़ू है के तू यहाँ आए और फिर उम्र भर न...
View Articleहम लोग
दिल के ऐवाँ में लिये गुलशुदा शम्ओं की क़तारनूरे-ख़ुर्शीद से सहमे हुए उकताए हुएहुस्ने-महबूब के सय्याल तसव्वुर की तरहअपनी तारीकी को भींचे हुए, लिपटाये हुएग़ायते-सूदो-ज़ियाँ सूरते-आग़ाजो मआलवही बेसूद...
View Articleतनु वेड्स मनु रिटर्न्स: दत्तो बडी ही कूल छोरी है
रंगनाथ सिंहसाल 2011 में तनुजा चतुर्वेदी और मनु शर्मा की शादी में जो लोग भी शामिल हुए थे उनके पास फिर से बारात करने का मौक़ा आ गया है क्योंकि तनु और मनु रिटर्न हो गए हैं और क्या खूब रिटर्न हुए हैं....
View Articleशाहजहाँ से एक बित्ता ऊपर दशरथ माँझी
P { margin-bottom: 0.08in; }फ़िल्म का पोस्टर, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी दशरथ माँझी की भूमिका में.माँझीः द माउंटेन मैन की ये समीक्षा मुकेश नेमाने फ़िल्म रिलीज़ होने के अगले दिन ही साहित्य और सिनेमा के...
View Article